दूसरी बड़ी घोषणा ग्रीन क्रेडिट कार्ड की है जो किसानों के लिए जारी किए जाएंगे। किसानों की सहायता के लिए किसान क्रेडिट कार्ड पहले से ही चलन में हैं। लेकिन इसका लाभ बहुत कम किसानों को मिलता है। जिसमें छोटे और भूमिहीन किसान इसकी पहुंच से लगभग बाहर हैं। ऐसे में देखना होगा कि इसका क्या उपयोग होगा और कौन इसका लाभार्थी होगा।
सरकार ने इस साल के लिए कृषि ऋण के लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये कर दिया है जोकि किसानों के लिहाज से बढ़िया कदम है। लेकिन पहले से घाटे में चल रहे किसान की आय कितनी बढ़ेगी यह बड़ा सवाल है।
इस बजट की सबसे बेहतर घोषणाओं से एक है भारत के मोटे अनाज के हब के रूप में विकसित करना। अगर सरकार इसको बढ़ावा दे तो यह बहुत आसानी से इसको बढ़ाया जा सकता है। इसको लिए सबसे बड़ी जरूरत तो बाजार उपलब्ध कराना है, जोकि पिछले दशकों में सिमटता चला गया है। इसके लिए प्रस्तावित राष्ट्रीय मिलेट संस्थान एक बेहतर कदम है। यह भारत में ही गेहूं और चावल पर बढ़ती निर्भरता को कम करेगा।
जो लोग इसकी खेती में लगे हुए हैं उन्हें इसका लाभ मिलेगा। यह परंपरागत खेती को भी जिंदा करेगा। यह हर लिहाज से बेहतर कदम है।
सरकार के पास किसी भी सरकारी काम को करने के लिए पीपीपी मॉडल के अलावा कोई और विकल्प नहीं नजर आता है। कपास की खेती के लिए अगर इस मॉडल को बढ़ावा दिया जाता है तो यह किसानों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। क्योंकि कपास का पूरा उत्पादन बाजार की जरूरतों के हिसाब से किया जाता है और इसमें लगी कुछ बड़ी कंपनियां अपने हिसाब से इसके तय करेंगी की कौन सा बीज बोया जाएगा क्या खाद डाली जाएगी। यह किसानों को कंपनियों के भरोसे पर छोड़ देगा। कृषि कानूनों के विरोध का एक आधार यह भी था।
भारत फूलों की खेती में उभरता हुआ बाजार है, जिसकी खेती कुछ खास हिस्सों में ही की जाती है। इस लिहाज इसके लिए अलग से बजट प्रावधान बढ़िया कदम हो सकता है लेकिन सवाल यह है कि इसको खर्च कैसे किया जाएगा? कहीं ऐसा न हो इस बजट का बड़ा हिस्सा इंफ्रास्ट्रकचर बनाने में खर्च हो जाए। दूसरा फूलों की खेती कुछ चुनिंदा जगहों तक सीमित है, और जहां इसकी खेती की जाती है वहां संसाधन पहले से हैं। ऐसे में इसको दूसरी जगहों पर विस्तारित करने की है जिसको व्यापक स्तर पर बढ़ावा दिया जा सके।सरकार ने इस बजट में मछुआरों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की है जोकि बेहतर कदम है। लेकिन मछुआरों को पैकैज से ज्यादा इस बात की जरूरत है कि मछली पकड़ने और बेचने के व्यापार में बड़ी-बड़ी कंपनियों का जो हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है उसको खत्म कर दिया जाए और वे स्वतंत्र रूप से मछली पकड़ सकें। इससे उनकी आधी से ज्यादा मुश्किलें आसान हो जाएंगी।