करतला ब्लॉक का मामला सचिव को खर्च का बिल तक नहीं मिला प्रभारी सचिव ने शिविर के दौरान जो खर्च किया है उसका हिसाब तो पंचायत को दे दिया है। लेकिन इस संबंध में उन्होंने वर्तमान सचिव को बिल नहीं दिया है। प्रभार लेते समय सचिव को शीघ्र ही बिल देने की बात उसने कही थी।
करतला ब्लाक के ग्राम पंचायत तरदा में विकास कार्यों की बजाए मूलभूत की राशि शिविर के लिए नाश्ते व भोजन में खर्च करने का मामला सामने आया है। पंचायत सचिव ने 70 हजार रुपए लाेक सुराज अभियान के शिविर के लिए यह राशि खर्च की है। इसका अब तक रसीद भी नहीं दिया है। पंचायत प्रतिनिधियों ने जब रिकार्ड मांगे तो इसका खुलासा हुआ।
पंचायतों में अनेक तरह की समस्याएं व आवश्यकताएं होती है। इनमें कई कार्य प्रमुखता व अनिवार्य श्रेणी के होते हैं। इन कार्यों को कराने के लिए पंचायत विभाग ने मूलभूत मद में पृथक से राशि निर्धारित किया है, ताकि इस राशि से पंचायत के द्वारा जरूरी कार्यों को करा सकें। ग्राम पंचायत तरदा को मूलभूत मद से 2.39 लाख रुपए का आवंटन मिला है। इससे कुछ कार्य भी कराए गए हंै। लेकिन इसमें से 70 हजार रुपए जिला स्तरीय लोक सुराज अभियान शिविर में भोजन व नाश्ता पर ही खर्च कर दिया गया है। इसके अलावा पंचायत के रायल्टी मद से 1 लाख 35 हजार रुपए शिविर का टेंट लगाने में खर्च करने का मामला सामने आया है। जून में यह शिविर आयोजित किया गया था। इसमें कलेक्टर पी दयानंद के भी शामिल होने की जानकारी दी गई थी। लेकिन वे नहीं आए और जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ की उपस्थिति में शिविर लगाया गया। इस तरह से पंचायत कि नियम कायदों काे ताक में रखकर 2 लाख 5 हजार रुपए एक शिविर में खर्च कर दिया गया है। इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को नहीं है। लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि अधिकारियों के निर्देश पर ही मद की राशि खर्च की जाती है। ऐसे में मामले की जांच होने पर वास्तविकता का पता चल सकेगा। साथ ही यह भी तय हो गया है कि जिले भर में पंचायत के फंड का उपयोग शिविर व अन्य दूसरे कार्यों में किया जा रहा है। जिससे पंचायत के काम प्रभावित हो रहे हैं।
मूलभूत की राशि मद में ही खर्च करने का प्रावधान
मूलभूत की राशि लोक सुराज अभियान में खर्च करने की जानकारी प्रभारी सचिव ने दी है। लेकिन अब तक बिल नहीं दिया है। पहली बार मूलभूत की राशि निर्धारित मद से बाहर खर्च की गई है। सचिव द्वारा बिल दिए जाने के बाद ही मामला साफ होगा। इसके बाद ही हम सचिव से मूलभूत की राशि कहीं और खर्च करने को लेकर पूछताछ कर सकते हैं। मीना राजवाड़े, पंचायत सचिव, तरदा
ग्राम पंचायत तरदा के सचिव ने 70 हजार रुपए लाेक सुराज अभियान के शिविर में नास्ते और भेजन में खर्च कर दिया।
मूलभूत मेंे 18 कार्य तय
मूलभूत की राशि खर्च करने पंचायत विभाग के स्पष्ट दिशा निर्देश है। इसमें 18 काम ही गांव में करा सकते हैं। इनमें स्टेशनरी खरीदी, बिजली बिल भुगतान व मरम्मत, पेयजल, सफाई, नाली निर्माण, स्कूल मरम्मत, 26 जनवरी को स्कूल में मिठाई वितरण, पंचायत भवन व अन्य सरकारी भवन के मरम्मत व पोताई, कुर्सी खरीदी अादि शामिल हैं।
पूरे ब्लाक का मिलता है 5 करोड़
ब्लाक को मूलभूत मद से हर साल लगभग 5 करोड़ रुपए शासन से प्राप्त होता है। यह दो किश्तों में भेजा जाता है। पहले किश्त में लगभग 2 करोड़ रुपए दिए जाते हैं। इस ब्लाक में 73 पंचायत हंै। जांच में चौंकाने वोल मामले सामने आएगा।
ग्राम पंचायत तरदा के सचिव ने 70 हजार रुपए लाेक सुराज अभियान के शिविर में नास्ते और भेजन में खर्च कर दिया।
मूलभूत मेंे 18 कार्य तय
मूलभूत की राशि खर्च करने पंचायत विभाग के स्पष्ट दिशा निर्देश है। इसमें 18 काम ही गांव में करा सकते हैं। इनमें स्टेशनरी खरीदी, बिजली बिल भुगतान व मरम्मत, पेयजल, सफाई, नाली निर्माण, स्कूल मरम्मत, 26 जनवरी को स्कूल में मिठाई वितरण, पंचायत भवन व अन्य सरकारी भवन के मरम्मत व पोताई, कुर्सी खरीदी अादि शामिल हैं।
मूलभूत की राशि खर्च करने का नियम तय
मूलभूत की राशि पंचायत विभाग से ग्राम पंचायतों को दो किश्तों में दी जाती है। यह राशि किन कार्यों में खर्च किए जाने हैं, यह भी स्पष्ट है। किन कार्यों में खर्च नहीं करना है इसका भी अलग से उल्लेख किया गया है। अगर तरदा पंचायत ने शिविर में इस मद की राशि खर्च की है वह नियम विरूद्ध है। इसकी शिकायत व जानकारी नहीं मिली है। पर ऐसा है तो मामले की जानकारी ली जाएगी। मामला सामने आने पर जांच की जाएगी और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। एमएस नागेश, सीईओ, जपं करतला
प्रभारी पंचायत सचिव का कारनामा
जिस दौरान मूलभूत व रायल्टी मद से शिविर में खर्च किया गया उस समय पंचायत सचिव मीना राजवाड़े अवकाश पर थी। प्रभारी की जिम्मेदारी राजेन्द्र खाण्डे को दी गई थी। उन्होंने ही शिविर में भोजन व नाश्ता के लिए सामान खरीदने व टेंट की व्यवस्था में राशि खर्च किया गया था। इसलिए वर्तमान सचिव इस मामले से पल्ला झाड़ ली है
फिच ग्रुप का हिस्सा क्रेडिट साइट्स ने पिछले साल सितंबर में अडानी समूह को “ओवरलेवरेज” के रूप में वर्णित किया था। लेकिन बाद में क्रेडिट साइट्स ने कैलकुलेशन की कुछ गलतियों की ठीक किया लेकिन समूह की ऋण संबंधी चिंता को बरकरार रखा था।